Wednesday, September 27th, 2023

10 महीने के निचले स्तर पर महंगाई:अगस्त में थोक महंगाई दर 13.93% से घटकर 12.41% पर आई, लगातार तीसरे महीने गिरावट

अगस्त महीने में थोक मूल्य सूचकांक आधारित (WPI) महंगाई में गिरावट देखने को मिली है। ये 12.41% पर आ गई है। इससे पहले जुलाई में ये 13.93% और जून में ये 15.18% पर थी। हालांकि, थोक महंगाई लगातार 16वें महीने डबल डिजिट में बनी हुई है। इससे पहले जुलाई में रिटेल महंगाई में भी कमी आई थी। जुलाई में थोक महंगाई 10 महीने के निचले स्तर पर आ गई है। इससे पहले सितंबर 2021 में WPI 13% से नीचे 10.66% आई थी।

लगातार 16वें महीने डबल डिजिट में बनी हुई है थोक महंगाई

महीनामहंगाई दर
अप्रैल10.74%
मई13.11%
जून12.07%
जुलाई11.16%
अगस्त11.64%
सितंबर10.66%
अक्टूबर13.83%
नवंबर14.87%
दिसंबर14.27%
जनवरी13.68%
फरवरी13.11%
मार्च14.55%
अप्रैल15.08%
मई15.88%
जून15.18%
जुलाई13.93%
अगस्त12.41%

WPI का आम आदमी पर असर
थोक महंगाई के लंबे समय तक बढ़े रहना चिंता का विषय है। ये ज्यादातर प्रोडक्टिव सेक्टर को प्रभावित करती है। यदि थोक मूल्य बहुत ज्यादा समय तक उच्च रहता है, तो प्रड्यूसर इसे कंज्यूमर्स को पास कर देते हैं। सरकार केवल टैक्स के जरिए WPI को कंट्रोल कर सकती है।

जैसे कच्चे तेल में तेज बढ़ोतरी की स्थिति में सरकार ने ईंधन पर एक्साइज ड्यूटी कटौती की थी। हालांकि, सरकार टैक्स कटौती एक सीमा में ही कर सकती है, क्योंकि उसे भी सैलरी देना होता है। WPI में ज्यादा वेटेज मेटल, केमिकल, प्लास्टिक, रबर जैसे फैक्ट्री से जुड़े सामानों का होता है।

रिटेल मंहगाई 6.70% से बढ़कर 7% पर पहुंची
खाने पीने का सामान खास तौर पर खाने का तेल और सब्जियों की कीमतें बढ़ने के कारण रिटेल महंगाई दर बढ़ी है। सोमवार को जारी किए सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) आधारित रिटेल महंगाई दर अगस्त में बढ़कर 7% हो गई है। जुलाई में ये 6.7% थी। यह लगातार पांचवां महीना है जब महंगाई दर RBI की 6% की ऊपरी लिमिट के पार रही है।

महंगाई कैसे मापी जाती है?
भारत में दो तरह की महंगाई होती है। एक रिटेल, यानी खुदरा और दूसरी थोक महंगाई होती है। रिटेल महंगाई दर आम ग्राहकों की तरफ से दी जाने वाली कीमतों पर आधारित होती है। इसको कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) भी कहते हैं। वहीं, होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) का अर्थ उन कीमतों से होता है, जो थोक बाजार में एक कारोबारी दूसरे कारोबारी से वसूलता है। ये कीमतें थोक में किए गए सौदों से जुड़ी होती हैं।

दोनों तरह की महंगाई को मापने के लिए अलग-अलग आइटम को शामिल किया जाता है। जैसे थोक महंगाई में मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की हिस्सेदारी 63.75%, प्राइमरी आर्टिकल जैसे फूड 20.02% और फ्यूल एंड पावर 14.23% होती है। वहीं, रिटेल महंगाई में फूड और प्रोडक्ट की भागीदारी 45.86%, हाउसिंग की 10.07%, कपड़े की 6.53% और फ्यूल सहित अन्य आइटम की भी भागीदारी होती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.